एक बार फिर न्यूज़ीलैंड; एक बार फिर स्पिन: कोहली का ये है प्लान।
लो भाई। फिर से एक बार न्यूज़ीलैंड सामने है। जब इंडिया आये थे तो उन्होंने पिछले साल हमारी कमर ही तोड़ दी थी। हमने तेज़ विकेट बनाये, तो पिटे। हमने स्पिन के विकेट बनाये, तो पिटे। हमने उछाल वाली पिच बनाई, तो पिटे। यानी जम के धुलाई। 3-0 से श्रृंखला हारी। हमारी हार का मुख्य कारण रहा था हमारा स्पिन को ना खेल पाना। अब एक बार फिर न्यूज़ीलैंड सामने है। पिच है दुबई की। ये भी स्पिन को मदद करती है। मुक़ाबला मार्च २ को है। ट्रॉफी, चैम्पियंस ट्रॉफी है। इस मैच में कौन हारा कौन जीता इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता है। क्योंकि इंडिया और न्यूज़ीलैंड दोनों ही सेमी-फाइनल के लिये क्वालीफाई कर गई हैं। पर बात तो इज़्ज़त की है। कुछ तो बदला लेना बनता है। तो हम इस बार क्या करेंगे जो पिछली बार से फ़र्क़ हो। क्या करें जिससे एक स्पिन लेती पिच पर हमारे बल्लेबाज़ एक बार फिर ना धाराशाही हो जायें। तो चलिए पहले बात अपने सबसे दिग्गज विराट कोहली की ही हो जाये। पिछले बार घर में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ छह पारियों में 93 रन बनाये थे। इसमें ७० तो एक ही पारी में आ गये थे। इस बार मैच से पहले विराट कोहली एक ख़ास क़िस्म का अभ्यास करते देखे गए। कोहली ने अभ्यास सत्र में पहले तो तेज़ गेंदबाज़ों का मुक़ाबला किया। और फिर स्पिनरों के सामने अपनी आज़माइश की। देखने वालों की ये उत्सुकता थी कि विराट स्पिन को खेलने के लिये क्या नया तोड़ लेकर आये हैं। तो लोगों ने देखा कि विराट ने या तो कलाइयों के सहारे गेंद को आस पास धकेलने की कोशिश की। ये गेंद के एंगल के हिसाब से उसे ऑफ-साइड में सरकाने का अभ्यास किया। यानी बड़े शॉट मारने का कोई भी प्रयास नहीं। मतलब विराट की स्ट्रेटेजी है कि स्पिनरों के ख़िलाफ़ एक या दो रन लेकर ही पारी को आगे बढ़ाया जाये। कभी कभार जब उन्होंने लंबे शॉट स्पिनरों पर खेलने की कोशिश की तो उनकी टाइमिंग अच्छी नहीं रही। अब कोहली के इस प्लान की वजह? वजह है उनकी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सफलता। इसी प्लान के रहते उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक शतक लगाया था। उन 100 रनों में कोहली ने 46 रन सिंगल के लिए थे। दुक्के उन्होंने 13 लिए थे। यानी 100 में 72 रन सिंगल या डबल में आये थे। चौके सिर्फ़ सात लगाये थे। इस बार भी न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ विराट का यही फार्मूला लगाने का प्रयास होगा। पर लोचा एक है। पाकिस्तान की टीम में सिर्फ़ एक स्पिनर था। वहाँ तो विराट की दाल गल गई थी। पर न्यूज़ीलैंड के पास कम से कम तीन स्पिनर होंगे। सेंटनर और ब्रेसवेल तो होंगे ही। रचिन रवींद्र भी कोई पैदल स्पिनर नहीं हैं। न्यूज़ीलैंड के स्पिनर और उनके कप्तान पूरी कोशिश करेंगे कि विराट सिंगल या डबल लेकर अपनी पारी को ना बढ़ा पाएँ। अब देखना ये होगा कि कौन किसपर भारी पड़ता है। मार्च २ का इंतज़ार रहेगा।